(1) 4th Day Of Shardiya Navratri 2023: नवरात्री का आज चौथा दिन साथ में जानें माँ ” कूष्मांडा की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त आज मंत्र, भोग व रंग (2) 4th Day of Navratri 2023: नवरात्रि के चौथे दिन भी माता कुष्माण्डा की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। जानें नवरात्रि के चौथा दिन माता कि पूजा किस मुहूर्त में करना चाहिए और दूसरी बातें भी-
(3) 4th Day of Shardiya Navratri 2023, Maa Kushmanda: शारदीय नवरात्रि का चौथे दिन माता कुष्माण्डा का दिन है। 18 अक्टूबर दिने आज बुधवार को ही है। शास्त्रों में तो कहा
शास्त्रों के अनुसार माता ने मंद मुस्कान से पिंड से इस सृस्टि व पूरे ब्रह्माण्ड का स्वरूप तक का सृजन इसी स्वरूप में की थी। इस कारण माँ को सृष्टि की आदिस्वरूपा या आदिशक्ति का भी कहा जाता है | माता कुष्मांडा का वाहन (सिंह) है |
नवरात्रि में माँ के कूष्मांडा की पूजा करने ‘भक्तों के मन का डर और भय दूर हो है जाता है। इस प्रकार उन भक्तों के जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है। माँ कूष्मांडा के प्रतिमा या स्वरूप के दर्शन व पूजन से मात्र रोग , शोक का ही नहीं इसके साथ यश, बल, आयु, वीर्यवान, आरोग्य व सन्तानों सुख की प्राप्ति होती है। सकारात्मक प्राप्ति तो होती ही है।
(4) पूजा विधि
शारदीय नवरात्रि के इस चौथे दिन भी आपको प्रात: काल उठकर माँ कूष्मांडा के छवि को ध्यान में रखकर उनको प्रणाम करें। इसके पर पश्चात, घर को स्वच्छ कर लें। अपने दैनिक कार्यों से निवृत होकर ) गंगाजल, ‘आचमन कर ले स्वयं को और नवीन वस्त्र धारण करके सर्वप्रथम शुद्ध करें सूर्य देव को जल से अर्घ्य अर्पित कर दें। अब माँ कूष्मांडा का मन में ध्यान कर उन्हें गंध, धूप, अक्षत, लाल फूल, श्वेत कुम्हड़ा (क ददू) फल सूखे मेवे और सौभाग्य का सामग्रियाँ अर्पित करें।
अब माँ कूष्मांडा को हलवे – गजार का और शुद्ध दही का भोग लगा लगाएँ। प्रसाद को अब दूसरों को वितरण कर व स्वयं भी ग्रहण कर ले | माँ कूष्मांडा की आरती करके पूजा समाप्त होने पर प्रसाद वितरण करके स्वयं भी ग्रहण अवश्य करें। पूजा करने वाले को अवश्य ही प्रसाद ग्रहण करना चाहिए।
(5) नवरात्री के चौथे दिन के शुभ मुहूर्त
ब्रम्ह मुहूर्त 04:37AM से 05:25 AM अभिजित मुहूर्त : 11.47ATM से 12.25AM + विजय मुहूर्त 0211 PM से 02.58PM |
गोधूलि मुहत: 05.58 PM से 06.22 PM अमृत काल: 08:39 PM से 1.0.13 PM- निशिता तुहत् ना47PM N 12:36 AM सर्वार्थ सिद्धि योग- 5:13AM, भित्र – अक्टूबर 19 1 से 06:13 AM 18 अक्टूबर
रवि योग 06.13 AM से0 05:13 AM 18 अक
(6)मंत – Mantra
ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः ॥
ध्यान – मंत्र – Dhyan mantra
कदे वाचित वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखरम् सिंहरूदा अष्टामुया कुष्माण्डा यशस्विनीम भादवर भानु निभाम् अनाहत स्थिताम् चतुर्य
दुर्गा त्रिनेत्राम्। कमण्डलु, चाप, बाण, पद्म, सुधाकलश चह जपवटीघराम गढ़ा,
पटाम्बर परिधानो कमनीयां मृदुहास्या
नानालङ्कार भूषिताम मज्जीर, हार, केयूर कि इङ्किणि रतकुण्डल मण्डिताम् ||.
प्रफुल्ल वेदनां चारु चिवुका कान कपोलम् तुग्रॅम कुचाम कौलमाड़ी स्मेरमुखी श्रीकेटि निम्ताभि
7 .नवरात्रि के चौथे दिन का शुभ रंग
शास्त्रों के अनुसार माता रानी (माँ कूष्मांडा) को हरा रंग अतिप्रिय है | माँ दुर्गाई का चौथा स्वरूप कूष्मांडा माँ कूष्मांडा का स्वरूप : माँ की आठ भुजाएँ हैं। माँ को अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना है | सातों हाथों में क्रमश : कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश चक्र तथा गढ़ा है आठवें हाथ हमें एक जपमाला होता है। माँ कुष्मांडा का वाहन सवारी ( सिंह) हैं |
माँ कूष्मांडा का भोग माँ कूष्मांडा का भोग (प्रसाद) माँ कुष्मांडा को मालपुआ चढाया जाता भोग में चढ़ाया जाता है।
माँ कूष्मांडा का भोग माँ कूष्मांडा का भोग (प्रसाद) – माँ कुष्मांडा को मालपुआ का भोग में चढ़ाया जाता है।
8.सूर्यलोक में रहने की शक्ति माँ कूष्मांडा का निवास सूर्यमंडल के भीतरी लोक में है। ऐसी मान्यता है सूर्यलोक में रहने की शक्ति क्षमता केवल इटू इनमें में हैं। इसीलिए इनके शरीर की कांति और प्रमा सूर्य की भांति ही दैदीप्यमान तेज से दसों दिशाएँ ल ओलांकित है इनके ही बहनांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में इन्हीं का तेज व्याप्त है माँ कुष्मांडा की पूजा निम्नलिखित मंत्र से करनी चाहिए |