अमिताभ बच्चन का नाम भारतीय सिनेमा में एक महान और अद्वितीय स्थान रखता है। 11 अक्टूबर 1942 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में जन्मे अमिताभ बच्चन का असली नाम इन्कलाब श्रीवास्तव था। उनके पिता, हरिवंश राय बच्चन, हिंदी के प्रसिद्ध कवि थे और उनकी माता तेजी बच्चन एक सामाजिक कार्यकर्ता थीं। बचपन से ही उनके जीवन में साहित्य और कला का प्रभाव गहरा था, जिसने उनकी व्यक्तित्व और करियर को आकार दिया।
करियर की शुरुआत
अमिताभ बच्चन ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1969 में फिल्म “सात हिंदुस्तानी” से की, लेकिन उन्हें असली पहचान 1973 में आई फिल्म “जंजीर” से मिली। इस फिल्म में उनकी भूमिका “एंग्री यंग मैन” की छवि से जुड़ी, जो 1970 और 1980 के दशक में उनके करियर की विशेषता बन गई। इस समय उन्होंने “दीवार,” “शोले,” “त्रिशूल,” “कभी कभी,” और “डॉन” जैसी सुपरहिट फिल्मों में अभिनय किया।
व्यक्तिगत संघर्ष और बैकअप
1982 में फिल्म “कुली” के सेट पर एक गंभीर दुर्घटना में वे घायल हो गए थे। इस दुर्घटना के बाद उनकी स्वास्थ्य स्थिति काफी बिगड़ गई, और पूरे देश ने उनकी सेहत के लिए प्रार्थना की। लेकिन बच्चन ने अपने जुझारू स्वभाव के बल पर न केवल स्वास्थ्य को पुनः प्राप्त किया, बल्कि 1990 के दशक में फिल्मों में वापसी भी की। उनके करियर का दूसरा स्वर्णिम दौर “कौन बनेगा करोड़पति” टीवी शो से शुरू हुआ, जिसने उन्हें घर-घर में और भी प्रिय बना दिया।
योगदान और सम्मान
अमिताभ बच्चन को भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं। उन्हें पद्मश्री (1984), पद्मभूषण (2001), और पद्मविभूषण (2015) से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा, उन्हें फ्रांस का “नाइट ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर” पुरस्कार भी दिया गया है, जो फ्रांस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।
उनके जीवन से प्रेरणा
अमिताभ बच्चन की यात्रा हमें यह सिखाती है कि समर्पण, धैर्य, और कठिन परिश्रम के बल पर किसी भी कठिनाई को पार किया जा सकता है। 80 वर्ष की उम्र में भी वे निरंतर फिल्मों, टीवी, और सोशल मीडिया के माध्यम से सक्रिय हैं, और युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए हैं।
अमिताभ बच्चन का जीवन और करियर हर पीढ़ी के लिए एक महान प्रेरणा है। उनके जन्मदिन के इस खास अवसर पर, उन्हें जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएँ और उनके स्वस्थ और समृद्ध भविष्य की कामना करते हैं।
उनके प्रसिद्ध ˈडाइअलॉग् :
“डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है।”
“मैं आज भी फेंके हुए पैसे नहीं उठाता।”
इस तरह के संवाद और उनका बेहतरीन अभिनय हमेशा यादगार रहेगा।
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Post By Sandeep Patel