Deepti Jeevanji : कैसे एक मंद बुद्धि और मंकी मेंटल कहीं जाने वाली बच्ची ने पैरालंपिक में मेडल जीत रचा इतिहास ! दीप्ति जीवनजी का जीवन परिचय (Biography of Deepti Jeevanji)
पैरालंपिक में मेडल जीत रचा इतिहास ! पैरालंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीता और देश को गौरवान्वित किया।
पैरालंपिक की ओर सफर
दीप्ति जीवनजी ने पैरालंपिक में भाग लेने का फैसला किया और कड़ी मेहनत के साथ इस लक्ष्य को हासिल किया। उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया और कई पदक जीते।
पेरिस पैरालंपिक में ऐतिहासिक जीत
पेरिस पैरालंपिक में दीप्ति जीवनजी ने 400 मीटर T20 स्पर्धा में शानदार प्रदर्शन किया और कांस्य पदक जीता। उनकी इस जीत ने देश को गौरवान्वित किया और उन्हें एक राष्ट्रीय नायक बना दिया।
दीप्ति जीवनजी की प्रेरणा
दीप्ति जीवनजी की कहानी प्रेरणादायी है। उन्होंने साबित कर दिया है कि चुनौतियों से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उन्हें स्वीकार करके आगे बढ़ना चाहिए। उनकी सफलता युवाओं के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है।
दीप्ति जीवनजी ने पेरिस 2024 में इतिहास रच दिया। वह मंगलवार को महिलाओं के 400 मीटर T20 वर्ग में कांस्य के साथ पैरालंपिक पदक जीतने वाली पहली बौद्धिक रूप से कमजोर भारतीय एथलीट बन गईं।
20 वर्षीय भारतीय पैरा एथलीट ने 55.82 सेकेंड में रेस को समाप्त किया। वह यूक्रेन की यूलिया शुलियार और तुर्की की आयसर ओन्डर से पीछे रहीं, जिन्होंने क्रमशः 55.16 और 55.23 सेकेंड में फिनिश लाइन को पार किया।
T20 वर्ग बौद्धिक अक्षमता वाले एथलीटों के लिए आरक्षित है। पैरालंपिक खेलों में प्रतिस्पर्धा करने वाली इस श्रेणी में भारत की पहली एथलीट दीप्ति को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जो उनके संचार और समझ कौशल को प्रभावित करती हैं।
विकिपीडिया के अनुसार
दीप्ति जीवनजी (जन्म 27 सितंबर 2003) एक भारतीय पैरा- एथलीट हैं। तेलंगाना के एक छोटे से गांव में जन्मी दीप्ति को शुरुआती जीवन में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। गांव के लोगों ने उनके माता-पिता से उनकी परेशानियों की वजह से उन्हें छोड़ देने को कहा, लेकिन वित्तीय कठिनाइयों के बावजूद दीप्ति के माता-पिता हर सुख-दुख में उनके साथ खड़े रहे।
दीप्ति की प्रतिभा का पता कोच एन. रमेश को तब चला जब वह 15 वर्ष की थीं और उसके बाद से उन्होंने लगातार खुद को बेहतर ही किया है। वह मौजूदा पैरा वर्ल्ड चैंपियन और 2023 एशियन पैरा गेम्स की स्वर्ण पदक विजेता हैं। वर्ल्ड चैंपियनशिप में, उन्होंने 55.07 सेकेंड का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था, जिसे ओन्डर ने सोमवार को तोड़ दिया, जब उन्होंने हीट में 54.96 सेकेंड का समय दर्ज किया।
दीप्ति का पदक पेरिस 2024 में भारत का 16वां पैरालंपिक पदक और एथलेटिक्स में छठा पदक था।
प्रेरणा स्त्रोत
हम क्या कुछ सीख सकते हैं, दीप्ति जीवनजी वो हैं।
दीप्ति एक मिसाल हैं कि कैसे दृढ़ संकल्प और मेहनत से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उनकी इस उपलब्धि ने न केवल भारतीय खेल जगत बल्कि पूरे देश को नई ऊर्जा दी है। कैसे एक मंद बुद्धि और मंकी मेंटल कहीं जाने वाली बच्ची ने पैरालंपिक में मेडल जीत रचा इतिहास ! हम उम्मीद करते हैं हमारे पाठक गण भी इस विस्ताविक कहानी से सीख लेकर नई ऊंचाई छूयगें । आशा करता हूं दीप्ति जीवनजी भविष्य में भी कई और उपलब्धियाँ हासिल करेंगी। Image Credit To – www.jansatta.com
You Tube Link – https://youtu.be/6lmGY4WJpy4?si=d14AFxU7uH2s_SZw
Post By – Sandeep Patel .