Hasdev Jangal : Who is the culprit of Hasdev Aranya?
छत्तीसगढ़ में मनमोहक हसदेव वन की एक संक्षिप्त परिचय :
छत्तीसगढ़ के मध्य में स्थित, हसदेव वन प्रकृति की प्राचीन सुंदरता के प्रमाण के रूप में खड़ा है। यह अछूता जंगल, अपनी समृद्ध जैव विविधता और मनोरम परिदृश्यों के साथ, प्रकृति प्रेमियों और साहसिक चाहने वालों के लिए एक स्वर्ग बन गया है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम हसदेव वन के माध्यम से एक आभासी यात्रा पर निकलते हैं, एक – एक बिंदु पर इसके रहस्यों और चमत्कारों को उजागर करते हैं। Hasdev Jangal : आदिवासियों का और हसदेव अरण्य का वास्तविक आपाराधी कौन हैं ?
हसदेव अरण्य के बारे में कुछ बिंदु
1. प्रवेश द्वार:
जैसे ही आप हसदेव वन Hasdev Jangal में कदम रखते हैं, आपका स्वागत एक भव्य प्रवेश द्वार द्वारा किया जाता है जो आगे आने वाले साहसिक कार्य के लिए माहौल तैयार करता है। ऊँचे-ऊँचे पेड़, एक प्राकृतिक तोरणद्वार बनाते हुए, आगंतुकों को एक ऐसे क्षेत्र में ले जाते हैं जहाँ सरसराती पत्तियों और चहचहाते पक्षियों की सिम्फनी एक ऐसा संगीत बनाती है जिसे केवल प्रकृति ही बना सकती है।
2. वनस्पति और जीव:
हसदेव जंगल हसदेव की जैव विविधता आश्चर्यजनक है, जिसमें वनस्पतियों और जीवों की एक विस्तृत श्रृंखला है। यह जंगल दुर्लभ पौधों की प्रजातियों, औषधीय जड़ी-बूटियों और विविध प्रकार के वन्य जीवन का घर है। मायावी बंगाल टाइगर, लियोपाल और हसदेव को अपना घर कहने वाली असंख्य पक्षी प्रजातियों पर नज़र रखें।वे प्रजातियाँ जो हसदेव को अपना घर कहती हैं।
3. वानस्पतिक चमत्कार – हसदेव ऑर्किडेरियम:
Hasdev Jangal के भीतर एक छिपा हुआ रत्न, हसदेव ऑर्किडेरियम वनस्पति विज्ञान के शौकीनों के लिए स्वर्ग है। स्वदेशी ऑर्किड के शानदार संग्रह के साथ, यह वनस्पति चमत्कार इन उत्कृष्ट फूलों की नाजुक सुंदरता को प्रदर्शित करता है। निर्देशित पर्यटन इन ऑर्किड का समर्थन करने वाले अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं, जिससे यह प्रकृति के लिए एक अवश्य देखने योग्य स्थान बन जाता है।
प्रेमियों के लिए एक अवश्य देखने योग्य स्थान बन जाता है।
4. मूक धाराएँ और कलकल करते झरने:
जैसे-जैसे आप Hasdev Jangal के हृदय में गहराई से प्रवेश करते हैं, परिदृश्य झरने वाले झरनों और घुमावदार धाराओं से चित्रित एक कैनवास में बदल जाता है। चट्टानों पर बहते पानी की आवाज़ एक शांत वातावरण बनाती है, जो आगंतुकों को रुकने और आसपास की शांति में डूबने के लिए आमंत्रित करती है।
5. प्राचीन तालाब – शांत मरूद्यान: पूरे जंगल में फैले एकांत तालाबों की खोज करें, जो हरे-भरे हरियाली के बीच शांत मरूद्यान के रूप में कार्य करते हैं। ये प्राचीन जलाशय न केवल एक सुरम्य वातावरण प्रदान करते हैं, बल्कि हसदेव में रहने वाले विविध वन्यजीवों के लिए महत्वपूर्ण जलस्रोतों के रूप में भी काम करते हैं। इस प्राकृतिक आश्रय स्थल में जीवन को बनाए रखने वाली प्राकृतिक सौंदर्य का स्वर्ग संतुलन की सराहना करने के लिए कुछ समय निकालें।
6. पवित्र उपवन – एक आध्यात्मिक संबंध:
हसदेव के पार पवित्र उपवन हैं, जो स्थानीय समुदायों द्वारा पूजनीय हैं। ये उपवन आध्यात्मिक आश्रय स्थल के रूप में काम करते हैं, और इनके भीतर के प्राचीन वृक्षों को पवित्र माना जाता है। आगंतुक उन अनुष्ठानों और समारोहों को देख सकते हैं जो हसदेव की जड़ों में निहित सांस्कृतिक महत्व को प्रदर्शित करते हुए, स्वदेशी लोगों और जंगल के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंधों को उजागर करते हैं।
7. ट्रैकिंग का रोमांच – गोहरगंज पीक:
साहसिक उत्साही लोगों के लिए, गोहरगंज पीक एक चुनौतीपूर्ण ट्रेक प्रदान करता है जो लुभावने मनोरम दृश्यों से पुरस्कृत होता है। ऊबड़-खाबड़ पगडंडियाँ घने पत्तों से होकर गुजरती हैं, अंततः शिखर तक पहुँचती हैं, जहाँ नीचे हसदेव का विशाल विस्तार दिखाई देता है। यह सुविधाजनक स्थान जंगल के विशाल आकार और प्राकृतिक भव्यता का एक अनूठा परिप्रेक्ष्य प्रदान करता है।
8. छत्र (छतरी )के नीचे कैम्पिंग:
वास्तव में हसदेव से जुड़ने के लिए। सार, जंगल की छतरी के नीचे डेरा डालना जरूरी है। रात्रिचर प्राणियों की संगीतमयी ध्वनि से रात जीवंत हो उठती है और तारों से जगमगाता आकाश एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला वातावरण बना देता है। यह आधुनिक जीवन की भागदौड़ से अलग होने और प्रकृति के मौलिक आलिंगन में डूबने का मौका है।
छत्तीसगढ़ का हसदेव वन अपने विविध पारिस्थितिकी तंत्र से लेकर इसके परिदृश्य में निहित आध्यात्मिक महत्व तक प्राकृतिक आश्चर्यों का खजाना है।
जंगल के बिंदुओं के माध्यम से इस यात्रा में केवल सतह को ही खरोंचा है।
परसा केते कोल माइंस
उदयपुर के घाटबर्स का पेंड्रामार जंगल मैदान में तब्दील, माइंस के लिए अडाणी को दी गई है यह जमीन
कोल माइंस के लिए 450 जवानों की सुरक्षा में काटे 95900 से ज्यादा पेड़, 65 लोग नज़रबंद या गायब कर दिया जा रहा हैं। परसा केते कोल माइंस के लिए आठवें दिन भी कटे हजारों पेड़ कैंप 258 हेक्टेयर का जंगल साफः आरा मशीन की आवाज से सहमे हाथी भागकर गांवों तक पहुंचे रहे हैं। कहीं भालू के बच्चे तो वहीं हिरण के बच्चे।
धरना स्थल पर आदिवासी ग्रामीण करते रहे नारेबाजी, उधर चली आरियां रूकने का नाम नहीं ले रही हैं।
Hasdev Jangal : हसदेव अरण्य का आपाराधी कौन हैं ?
हसदेव अरण्य दोषी कौन राहुल गांधी या नरेंद्र मोदी ?
राहुल गांधी : 2016 में राहुल गांधी ने हसदेव अरण्य में आदिवासियों से वादा किया था कि अगर उनकी सरकार इस प्रदेश में बनती है तो वो इस Hasdev Jangal को किसी भी कीमत पर उजड़ने नहीं देंगे । परंतु दिखावा ऐसे कर रहे हैं जैसे कुछ हुआ ही नहीं है। अब लोगों द्वारा चुनाव में राहुल द्वारा किया गया वादे याद दिलाया जा रहा है। कोई प्रभाव नहीं पड़ा रहा है।{कांग्रेस ने विनाश की शुरुआत कि और भाजपा से उम्मीद खत्म कोई अपना नहीं •आपका•तडपता- हसदेव•} कांग्रेस सरकार इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं भूपेश बघेल मुख्यमंत्री रहते हसदेव अरण्य को कटने का आदेश पारित किया । जब लोगों के द्वारा इस संबंध में जानकारी मांगी गई तो घटिया सोच के साथ बोले अगर बिजली चाहिए तो ये करना ही पड़ेगा , ये बात सुनें अच्छा भले ही लग रहा ये बिजली राजस्थान बिजली वितरण कंपनी के लिए हसदेव जंगल की कटाई किया जा रहा है। आदिवासियों के अनुसार हसदेव अरण्य का दोषी राहुल गांधी से अधिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी :
देश का सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति और विश्व का सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्राध्यक्ष संयुक्त राष्ट्र या किसी भी अंतरराष्ट्रीय स्तर जिनमें 2030 तक 500 गीगावाट तक गैर जीवाश्म ईंधन की क्षमता तक पहुंचना, साल 2030 तक भारत की ऊर्जा जरूरतों का 50 फीसदी अक्षय ऊर्जा से प्राप्त करना, कार्बन उत्सर्जन को 2030 तक एक अरब टन तक सीमित करना, साल 2030 तक कार्बन आधारित अर्थव्यवस्था को 45 फीसदी तक कम करना और साल 2070 तक कार्बन उत्सर्जन शून्य करना। बहुत ही दुखद बात है इन्होंने भी हमारे आदिवासी समाज से चुनावी वादे में कहे थे, भगवान बिरसा मुंडा के प्रतिमा स्थापित करें उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। हम आदिवासियों के घरों को वन, जंगलों को कभी उजाड़ने नहीं दूंगा। अब प्राकृतिक से प्रेम करने वाले इनके सन्देश देना और करोड़ों रूपए खर्च करके विदेशी निबियाई चीते लाकर दिखावा किया और मिडिया भी आगे पीछे दौड़ रहीं थी, आज यहां के पशुओं तेंदुआ चीतल नीलगाय बारहसिंगा बाघों , पक्षियों कीड़े मकोड़ों, और अन्य जीव को के घरों को उजाड़ रहे है उसे सुरक्षा ना देकर उसको बेघर कर रहे हैं। यहीं इनके राम राज की पारिभाषा है। Hasdev Jangal परंतु दिखावा ऐसे कर रहे हैं जैसे कुछ हुआ ही नहीं है।
हसदेव क्यों कटा जा रहा है ?
कोल ब्लॉक्स राजस्थान राज्य विद्युत निगम को आवंटित किया हैं जिन्हें एमडीओ के द्वारा गौतम अडानी को खनन की ठेकेदारी सौंपी गयी है। इस दृष्टि से इसे मात्र अडानी के हितों को ध्यान में रखकर हसदेव अरण्य को कोयला खदान के लिए खदान बनाई जा रही हैं। एक दशक ( 2010-2011) से स्थानीय ग्राम सभाओं के संगठन हसदेव बचाओ संघर्ष समिति ने इस अमूल्य जंगल को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया हैं। 300 किमी रायपुर तक आदिवासियों द्वारा विरोध यात्रा किया गया फिर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
कांग्रेस ने विनाश की शुरुआत कि और भाजपा से उम्मीद खत्म कोई अपना नहीं {•आपका•तडपता- हसदेव•}|
हसदेव जंगल के कटाई पर आदिवासियों का विरोध
जब ऑस्ट्रेलिया के जंगल में आग लगी थी तो पूरा भारत दुखी था और आज छत्तीसगढ़ के हसदेव जंगल (Hasdev Jangal ) को काटा जा रहा है फिर भी आदिवासी के अलावा कोई भारतीय आवास क्यों नहीं उठा रहा है। सवाल कर रहा है आपका हसदेव ।।
मैं हसदेव न हिन्दू हूँ, न मुस्लिम और न ही सिक्ख हूँ और न ईसाई, तो मुझे बचाने के लिए केवल आदिवासी ही क्यों लड़ रहे है! सभी तो मेरी छत्र छाया में पले हैं ? यदि धर्म की लड़ाई होती तो सब लोग आगे आ जाते लेकिन ये जंगल की लड़ाई है इसलिए कोई आगे नहीं आ रहा। ऑक्सीजन सबको चाहिए जंगल सिर्फ गोली खाकर आदिवासी बचायेगा क्यों छीन रहे हो जानवरों के घर को क्यों बर्बाद कर रहे हो प्रकृति को सुबह की ताजी हवा तुझे पसंद है चिड़ियों की आवाजें तुझे पसंद हैं मेघों का बरसना तुझे पसंद है तुझे प्रकृति की हर रचना पसंद है फिर क्यों तू प्रकृति को नष्ट कर रहा है। दुःख तो होता है साहेब,, मुख्यमंत्री को अपना समझ कर गलती जो कर दी आपका अपना आदिवासी समाज और आपका हसदेव ?
हसदेव के लिए आदिवासी मुख्यमंत्री ने क्या बोला ?
आदिवासी समाज से मुख्यमंत्री बनें विष्णु देव साय ने हसदेव अरण्य के कटाई पर आदिवासियों से चुनाव में आदिवासियों के हितों की बातें कर रहे थे। मुख्यमंत्री बनते ही वन कटाई का आदेश जो पूर्व की सरकार द्वारा किया दिया गया था उस को आगे बढ़ाते हुए। लोगों द्वारा प्रश्न पूछे जाने पर बोले ये कांग्रेस सरकार द्वारा दिया गया आदेश है। यहां प्रश्न है आदिवासियों का आप हमारे समाज से आते हुए ऐसा कैसे कर सकते हैं इसे रोकिए। मुख्यमंत्री बनें से पहले विष्णु देव साय के प्राकृतिक प्रेम में एक टि्वट देखिए ।
मुख्यमंत्री बनें से पहले विष्णु देव साय का टि्वट
” आप सभी आगंतुकों से मेरा अनुरोध है कि जब भी आप मुझसे मिलने आए तो पुष्प गुच्छ के बजाए केवल एक पुष्प लाएं। यह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में हम सभी के लिए एक सकारात्मक कदम होगा”।
हसदेव कटाई का सही आंकड़ा क्यों छिपा रहा विभाग:
स्थानीय ग्रामीण के अनुसार प्रशासन का दावा है कि घाटबर्रा के पेंड्रा मार जंगल में 90 हेक्टेयर तीन दिनों तक 15307 पेड़ काटे गए हैं। वहीं आंदोलनकारियो का कहना है कि वन विभाग वास्तविक आकड़ा छिपा रहा है। यहां इससे कई गुना अधिक पेड़ काटे गए हैं। ग्रामीणों के अनुसार बीते साल भी खनन को बढ़ाने के लिए के लिए 42 हेक्टेयर में लगे पेड़ काटे गए थे, तब भी ग्राम पंचायत से आदेश नहीं लिया था ये विभाग हम आदिवासियों से आदेश नहीं लेना चाह रहा है। एफआईआर केस दर्ज हुआ था पर जब रक्षक ही भक्षक बन जाए तो क्या होगा। चाहें मुख्यमंत्री जितने भी तर्क कटाई के पक्ष में दे उनके, उनके पार्टी और अडानी लाभ के लिए इस भयानक विनाश को किसी भी तर्क से उचित नहीं ठहराया जा सकता। आदिवासी वन से सुखी लकड़ियां काट ले भारतीय कानून में ये आपराध है वहीं सरकारें पूरा-पूरा का वन साफ कराने का आदेश दें तो कुछ हुआ ही नहीं।
Note – ये सभी जानकारियां जो आप First Super Star के विषय में Timesandesh.com पर पढ़ रहे हैं व विभिन्न लेखों और इंस्टाग्राम से जुटाए गए हैं। आशा करता हूं आपको ये पढ़ने और समझने में योगदान दिया हैं।
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Posted By Sandeep Patel.