प्रयागराज : जैसे उज्जैन (मध्य प्रदेश) में महाकाल की शाही सवारी का नाम राजसी सवारी किए जाने के बाद अब महाकुंभ में भी उर्दू-फारसी शब्दों के प्रचलन का विरोध संतों ने किया है। शाही स्नान व पेशवाई का नाम बदलने की मांग उठाई है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने शाही को उर्दू शब्द बताते हुए उसकी जगह राजसी स्नान का प्रयोग करने पर जोर दिया है। इसके अलावा अमृत स्नान, दिव्य स्नान व देवत्व स्नान में से किसी एक नाम पर विचार किया जा सकता है। इसी प्रकार फारसी शब्द पेशवाई की जगह ऐसे छावनी प्रवेश शब्द का प्रयोग किया जाएगा। इसको लेकर अखाड़ा परिषद की प्रयागराज में बैठक बलाई जाएगी। सभी 13 अखाड़ों की सम्मति से प्रस्ताव पारित करके उसे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को भेजकर सरकारी अभिलेखों में संशोधित शब्दों का प्रयोग करने की मांग की जाएगी। मेला के वैभव
कुंभ-महाकुंभ अखाड़े होते हैं। अखाड़ों के संतों के स्नान को शाही स्नान व अखाड़े के आश्रम से मेला क्षेत्र में जाने को पेशवाई बोला जाता है। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है।

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संतों – महंतों के अनुसार ये नाम होने चाहिए।
१. महाकुंभ में उर्दू फारसी शब्दों के प्रचलन के विरोध में संत, बोले – पेशवाई को कहा जाए ( छावनी प्रवेश )। शाही स्नान को छोड़कर कर राजसी स्नान शब्द का प्रयोग इसी महाकुंभ से प्रयागराज में हों ।
२. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक प्रयागराज में प्रस्ताव पारित बुलाकर किया जाएगा ।
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Post By Sandeep Patel