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Shardiya Navratri 2023 6th Day: नवरात्रि के छठवें दिन होती है , माँ कात्यायनी की पूजा, जानें स्वमस्वरूप, पूजा विधि, म भाग, रंग व मंत्र

Maa Katyayani
Shardiya Navratri 2023 6th Day:

1.Shardiya Navratri 2023 6th Day:नवरात्रि के छठवें दिन होती है माँ कात्यायनी की पूजा, जानें स्वमस्वरूप, पूजा विधि, म भाग, रंग व मन्त्र  |

Shardiya Navratri 2023 6th Day:

शारदीय नवरात्र के इस छठवे  दिन माँ दुर्गा के छठे स्वरूप माँ कात्यायनी का  पूजन किया जाता है , अगर आप भी माँ की कृपया प्राप्त करना चाहते हैं तो नवरात्र  के छठवें दिन पूजा में ये मंत्र जाप अवश्य करें….

2. Navratri ath Day 2023: 

जैसा की आप सभी जानते है ये शारदीय नवरात्रि का  अभी  बहुत ही शुभ बेला चल रहा है, माँ को मानने का यहीं शुभ दिन है। नवरात्र के छठवें दिन (Navratri 6th Day) माँ के अलौकिक स्वरूप माँ कात्यायनी ( Maa Katyayani) की पूजा किया जाता है। माँ दुर्गा के नौवें   रूपों में छठवे रूप माँ कात्यायनी देवी का है। माँ कात्यायनी को महिषासुर मर्दिनी के नाम से भी विख्यात हैं । दुर्गा पूजा में माँ  कि मूर्ति के साथ साथ एक भयनाक राक्षस सुर है वो ही महिषासुर  है।  मान्यता है कि  माता के इस रूप की पूजा करने से विवाह में आ रही समस्या से छूटकारा मिलता है। सकारात्मक भाव से माँ की पूजा करें।.

3. तो ऐसा हैमाँ का स्वरूप

माता कात्यायनी माता का सवारी  सिंह हैं। माँ के शीश  पर बहुत ही सुन्दर मुकुट सोभायमान है। माता की सवारी सिंह है, लगभग सभी  स्वरूपों की  सवारियाँ सिंह ही हैं।

4. पूजा विधि                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                     नवरात्रि के छठवे दिन माँ  कात्यायनी  स्वरूप की उपासना पहले अपने दैनिक कार्य से  निवृत हो  कर । माँ के स्वरूप का धान ध्यान करें। स्नान आदि के बाद स्वच्छ पीले वस्त्र धारण करें माँ को लाल पुष्प प्रिय है उसको माँ को अर्पित करें। ऐसा करना शुभ होता है। माँ को   कुमकुल, लाल पीले पुष्प  व भोग अर्पित करें। अब  छठवे दिन का माँ का मंत्र का जाप करें दस मिनटों तक। माँ की आरती करें ।

5. माँ कात्यायनी का प्रिय भोग

शास्त्रों में ऐसा वर्णित है ,  कि माँ कात्यायनी को पीले रंग भी प्रिय हैं | इस कारण माँ को मधु (शहद) अति प्रिय है। आप मधु का भोग अर्पित करें अगर सम्भाव हो तो मधु से बने  हलवे  का भोग  अर्पित करें |

6.  माँ का प्रिय रंग

लाल रंग माँ को अति प्रिय है  | माँ को पीला भी अति प्रिय है। इसलिए पूजा में वस्त्र धारण कर पीले रंग  का  पुष्प अर्पित करे  लाल और पीला। भोग  में  मधु अर्पित करें |

7. मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।

8. धाम कात्यायनी भाता की आरती

माँ कात्यायनी की आरती

जय जय अम्बे जय कात्यायनी ।जय जय माता जग की महारानी।

बैजनाथ स्थान तुम्हारा। वहावर दाती नाम पुकारा ।”

कई है कई धाम है। यह स्थान भी तो सुखधाम है।।

हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी । कही योगेश्वरी महिमा न्यारी ॥

हर स्थान जगह उत्सव होते रहते। हर मन्दिर में भगत है कहते ।।

कात्यायनी रक्षक काया की। ग्रंथि काटे मोह माया की ।।

झूठे मोह से छुड़ाने वाली। अपना नाम जयाने वाली ||

बृहस्पतिवार को पूजा करिए। ध्यान कात्यायनी का धरिये ।।

हर संकट को दूर करेगी। भंडारे भरपूर करेगी।

जो भी माँ को भक्त पुकारे। कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।

9 . माँ कात्यायनी का ध्यान मंत्र

वन्दे   वांछित   मत  मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम् सिंहारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्॥

स्वर्ण वर्णा आज्ञाचक्र स्थिरताम षष्ठम दुर्गा त्रिनेत्राम | वराभीत करां पदद्धरां कात्यायनसुतां भजामि ।।

पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालङ्‌कार भूषिताम्।

मञ्जीर, हार, केयूर, किड किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम ||

प्रसन्नवदना पल्लवाधरां कान्त कपोलामनुगम कुचाम्।

कमनीयां लावण्यां त्रिवली विभूषित निम्न नाभिम् ।।

10. माँ कात्यायनी कैसे प्रकट हुई।

माँ कात्यायनी का यजुर्वेद में सर्वप्रथम वर्णन प्राप्त होता है। ‘कात्यायनी’ नाम का । शास्त्रों कि मानें तो माँ देवताओं का कार्यसिद्ध करने के लिए माँ आदिशक्ति के रूप में महर्षि कात्यायन के आश्रम में प्रकट हुई थीं। महर्षि कात्यायन के आश्रम में प्रकट होने के कारण ही माँ का नाम कात्यायनी ‘पड़ा ।

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