Shardiya Navratri 23-Nov-2023:
महानवमी के दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा करें इस विशेष विधि से कार्य हों जायेगा सिद्धा !
1. Shardiya Navratri 2023 : हिन्दू पंचाग (हमारे धार्मिक पंचाग) के अनुसार 23 कल नवराति अक्टूबर का अंतिम दिन है। इस दिन माँ दुर्गा के नौवें स्वरूप माँ सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। यहीं अंतिम दिन भी नवरात्रि की होती है। शास्त्रों के अनुसार इससे व्यक्ति के सभी कार्य सिद्धि हो सकती है। विधिवत मां के पूजन से सारे मनोरथ सिद्ध हो सकती है। इससे व्यक्ति के सभी कार्य सिद्ध हो सकते है। शास्त्रों के अनुसार विधिवत माँ के पूजन से सारे मनोरथ सिद्ध हो सकती है। अगर सिद्धि प्राप्त करना है तो इस बारे में आपका ये जानना अत्यंत आवश्यक कि किस विधि से पूजा की जाती है ? क्या मंत्र है ? कैस इन्हें भोग लगाया जाता है ? आगे पूरी विधि दिया गया पढ़ते रहे और आगे जाने के लिए। जानें कौन है माँ सिद्धिदात्री ?
2. कौने हैं माँ सिद्धिदात्री ?
माँ दुर्गा के नौवें स्वरूप को सिद्धिदात्री कहा जाता है। इनकी पूजा करने से व्यक्ति भक्तो के सभी कार्य सिद्ध हो सकते हैं। वहीं महानवमी नवरात्र के नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा किया जाता है।
शास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव ने माता सिद्धिदात्री की कठोर तपस्या कर इनसे सभी आठ सिद्धियाँ प्राप्त की थीं।
इस प्रकार तभी से माँ सिद्धिदात्री को सिद्धिदित्री पुकारा जाने लगा। इन्हीं देवी के कृपा से शिव ( भगवान शिव मंत्र )
की आधा शरीर शिवमय और देवीमय हो गया है, इसी कारण उन्हें अर्धनारीश्वर कहा जाता है। नवरात्रि के नौवें दिन इनकी पूजा करने साथ नवरात्रि का समापन हो जाता है ।
3. इसी विधि से करें माँ सिद्धदात्री की पूजा (Mag Siddhidatri Ki Puja Vidhi)
सर्वप्रथम सुबह-सुबह ब्रह्मा मुहूर्त में ही स्नान करें। उसके बाद माँ के नाम स्मारण करके ध्यान करें। पूजा में स्वच्छ वस्त्र धारण (पहनकर पूजा करें। अब माँ सिद्धिदात्री के मूर्ति या प्रतिज्ञा को पूजा स्थल पर गंगाजल या शुद्ध जल से धोके अब शुद्ध करके स्थापित करें। माँ सिद्धिदात्री का नाम व छवि मन में बोलकर ध्यान करते हुए पुष्प आदि अर्पित करे दें। माँ को भोग में फल-फूल मालपुआ, पंचामृत का भोग लगाएँ । अब माँ की आरती मंत्र गाते हुए आरती उतरे। माँ सिद्धिदात्री का आशीर्वाद लें चरण स्पर्श करके , इससे आपके सभी कार्य सिद्ध हो सकते हैं। कन्या पूजन से व्यक्ति को हर कष्ट मुक्ति मिलता है। घर में माँ लक्ष्मी का वास होता है।
4. माँ सिद्धिदात्री का भोग (Maa Siddhidatri Bhog)
माँ सिद्धिदात्री का प्रिय भोग पंचामृत और पुआएँ का भोग अवश्य लगाएँ।
5. सिद्धि प्राप्त हेतु माँ सिद्धिदात्री को जाप इन मंत्रों से करें (Maa Siddhidahri Sidhhi Mantr)
इस मंत्र के प्रयोग से आपको लाभ की प्राप्ति हो सकती हैं।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हे सं लं क्षं फट् स्वाहा ।।
३. वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृत शेखरम्।
४. कमतस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्।।
५ या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।
6.नवरात्र के अंतिम कन्या पूजन और हवन
नवरात्रि के अंतिम दिन (महानवमी) माँ को विदाई के दिन कन्या पूजन और हवन व्यक्ति विधिवत करना चाहिए। ऐसी लोक मान्यता है कि हवन करने व्यक्ति (साधक) को व्रत का का पूर्ण फल प्राप्त होता है। उसके बाद हवन अवश्य करने चाहिए। इससे साधक के सभी कार्य सिद्धि हो जाते हैं।
7. महानवमी पूजा का शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11 बजकर 43 मिनट से 12 बजकर 27 मिनट तक ।
विजय मुहूर्त: दोपहर 1 बजकर 58 मिनट से बजकर 43 मिनट तक।
अमृत काल: सुबह 7 बजकर 29 मिनट से 8 बजकर 59 मिनट तक।
निशीथ काल मुहूर्त: रात 11 बजकर 40 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक।
सर्वार्थ सिद्धि योग : सुबह 06 बजकर 27 मिनट से शाम 05 बजकर 14 मिनट तक।
रवि योग : पूरे दिन रहेगा।
Posted By – Sandeep Patel
Image Credit -Bhakti Sansar .com
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