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Maa Skandmata

5th Day Of Shardiya Navratri 2023: नवरात्री जानें पाँचवें दिन माँ दुर्गा के पाँचवे रूप माँ स्कंदमाता को पूजा विधि स्वरूप, पूजा का महत्व, रंग, भोग आदि।

Posted on October 19, 2023

 1. 5th Day Of Shardiya Navratri 2023: नवरात्री जानें पाँचवें दिन माँ दुर्गा के पाँचवे रूप माँ स्कंदमाता को पूजा विधि स्वरूप, पूजा का महत्व, रंग, भोग आदि।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                      2. Shardiya Navaratri 2023 Fith Day of Maa Skandmata: नवरात्रि का पाँचवाँ दिन  विशेष आज नवरात्रि का पाँचवाँ दिन है ये माँ दुर्गा के पाँचवें स्वरूप को स्कंदमाता की है। उपासना किया है। ये देवतों के सेना पति भगवान संवाद (कार्तिकेय) की माता होने के कारण ही माँ का नाम मुत्र के नाम प्रसिद्ध उहुआ। शास्त्रों में ऐसा लिखा हुआ है कि सनवरात्रि का पाँचवाँ दिन पर पुष्कल महत्व बताया, गया है। साधक का मन समस्त लौकिक सास संसारिक, माया बँधनो से विमुक्त होकर पद्मासना माँ स्कंदमाता के स्वरूप पूर्णतः व विल्लीन हा दत्तचित (मग्न) होती है।

3. माँ स्कंदमाता स्कंदमाता का सरूप: माँ के स्वरूप बात करे तो, माँ का नाम स्कंदमाता अर्थ है कंद की गाता । माँ  स्कंदमाता  की गोद में छह  मुख वाले स्कन्द कुमार विजमान  रहते हैं | माँ मस्कंदमाता कमल के आसान पर विराजमान हैं इस कारण माँ का एक नाम पद्मासन देवी भी है। कार्तिकेय की माता तो ये में गणेश भगवान भी तो कार्तिकेय के अनुज है । माँ इनका (माँ)नाम गोरी, माहेश्वरी, पार्वती एवं उमा नाम से पुकारा जाता है। माँ का वाहन सिंह है। माँ कि की उपासना करने से संतान की प्राप्ति अवश्य ही होती, है मान्यता भी यहीं है। माँ स्कंदमाता की चार भुजाएँ हैं। इनके माँ के दाएँ और की नीचे वाली भुजा, जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें कमल पुष्प बाएँ ओर की के ऊपर वाली भुजी में वरमुद्रा में तथा नीचे वाली में ऊपर ओर उठा है उसमें भी कमल पुष्प है। इनका वर्ण (रंग) पूर्णतः शुभ है। ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। पति भगवान महादेव महादेव शिव हैं।

4. पूजन विधि

शारदीय नवरात्रि की सुबह पंचमी तिथि को प्रात: काल स्नान करने के पश्चात् स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इसके पश्चत ही पूजन कार्य करना चाहिए। माँ स्कंदमाता की प्रतिमा और स्वयं गंगाजल से आचामल कर लें। माँ की पूजा में सुविधानुसार अब अदा, कुमकुम, फल, पुष्प आदि से करें |
माँ  को के प्रतिमा या मृति बने, साम के लिए घी का दीपक जलाएं। इसक, पश्चात पुष्प सदा अर्पित करें। माँ को भोगे लगाएँ। माँ के नाम की जाप वह मंत्र का जाप करना जा चाहिए।

5. माँ स्कंदमाता का प्रिय रंग

माँ स्कंदमाता स्कंद की पूजा से अत्यंत शांति और सुख का अनुभव होता है | माँ स्कंदमाता को श्वेत  रंग बहुत ही प्रिय है | माँ  स्कंदमाता  को   प्रसन्न करने के लिए पूजा में श्वेत रंग का के वस्त्र पहनकर चाहिए |

6. माँ स्कंदमाता का प्रिय भोग

माँ स्कंदमाता को केले का भोटी का अनि प्रिय है। माँ को खीर भी प्रिय है | माँ  स्कन्दमाता को केले से निर्मित भोग जैसे इसे बने  मिठाई  भी  प्रिय  है |
7. माँ  स्कंदमाता के पूजन मुहूर्त-

ब्रह्म मुहूर्त – 04:43 ए एम से 05:34 ए एम प्रातः सन्ध्या- 05:08 ए एम से 06:24 ए एम अभिजित मुहूर्त – 11:43 ए एम से 12:29 पी एम विजय मुहूर्त – 02:00 पी एम से 02:45 पी एम गोधूलि मुहूर्त – 05:48 पी एम से 06:13 पी एम सायाह्न सन्ध्या- 05:48 पी एम से 07:04 पी एम अमृत काल- 12:14 पी एम से 01:51 पी एम

8. माँ स्कंदमाता का मंत्र ‘व अर्थ

या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।                                                                                                                                               नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्यस्यै नमोनमः ।।

9. मंत्र का अर्थ

हे माँ ! आप सर्वत्र विराजमान और स्कंदमाता के रूप में प्रसिद्ध अम्बे ,  आपको  बारंबार प्रणाम करता मुझे सभी पापों में से से हे माँ, करें। इनके विग्रह में भगवान स्कंद भी अपने बालरूप में इनके मुक्ति प्रदान गोद में विराजमान होते हैं। जिने पांच सिर है।

श्लोक

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरया शुभदाहस्तु | शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशखिनी।।

स्कंदमाता का दूसरा नाम है ?

इसी कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है।

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